जात पवनसुत देवन्ह देखा। जानैं कहुँ बल बुद्धि बिसेषा।।
सुरसा नाम अहिन्ह कै माता। पठइन्हि आइ कही तेहिं बाता।।
आजु सुरन्ह मोहि दीन्ह अहारा। सुनत बचन कह पवनकुमारा।।
राम काजु करि फिरि मैं आवौं। सीता कइ सुधि प्रभुहि सुनावौं।।
तब तव बदन पैठिहउँ आई। सत्य कहउँ मोहि जान दे माई।।
कबनेहुँ जतन देइ नहिं जाना। ग्रससि न मोहि कहेउ हनुमाना।।
जोजन भरि तेहिं बदनु पसारा। कपि तनु कीन्ह दुगुन बिस्तारा।।
सोरह जोजन मुख तेहिं ठयऊ। तुरत पवनसुत बत्तिस भयऊ।।
जस जस सुरसा बदनु बढ़ावा। तासु दून कपि रूप देखावा।।
सत जोजन तेहिं आनन कीन्हा। अति लघु रूप पवनसुत लीन्हा।।
बदन पइठि पुनि बाहेर आवा। मागा बिदा ताहि सिरु नावा।।
मोहि सुरन्ह जेहि लागि पठावा। बुधि बल मरमु तोर मै पावा।।
सुरसा नाम अहिन्ह कै माता। पठइन्हि आइ कही तेहिं बाता।।
आजु सुरन्ह मोहि दीन्ह अहारा। सुनत बचन कह पवनकुमारा।।
राम काजु करि फिरि मैं आवौं। सीता कइ सुधि प्रभुहि सुनावौं।।
तब तव बदन पैठिहउँ आई। सत्य कहउँ मोहि जान दे माई।।
कबनेहुँ जतन देइ नहिं जाना। ग्रससि न मोहि कहेउ हनुमाना।।
जोजन भरि तेहिं बदनु पसारा। कपि तनु कीन्ह दुगुन बिस्तारा।।
सोरह जोजन मुख तेहिं ठयऊ। तुरत पवनसुत बत्तिस भयऊ।।
जस जस सुरसा बदनु बढ़ावा। तासु दून कपि रूप देखावा।।
सत जोजन तेहिं आनन कीन्हा। अति लघु रूप पवनसुत लीन्हा।।
बदन पइठि पुनि बाहेर आवा। मागा बिदा ताहि सिरु नावा।।
मोहि सुरन्ह जेहि लागि पठावा। बुधि बल मरमु तोर मै पावा।।
Jatt pawansut devanah dekha jane kahun balbudhi bisesha I
Sursa nam ahinah ki mata jaee pathehinh kahi tehi bata I
Aj suranah mohi den ahara sunat vachan kahe pawankumara II
Ramkaj kari phiri mein anwao Sita ki sudhi pabhuhui sunaoun I
Tab tav badan pathuin aee satya kahun mohi jan de mai I
Kavneh jatn dehi na jana garsesun nja mohi kaheun hanumana I
Jojan bhar tehi badnu pasara kapi tanu keenhi dugun vistarah I
Solah jojan much tehi thayaun turat pawansut batis bhahyun I
Sat jojan tehi anan keenha ati laghurup pawansut keenha I
Badan peth puni baher ava magi vida tahi sir nava I
Aaj sueanah jehi lagi pathava budhi bal tor marmu main pava I
दो0-राम काजु सबु करिहहु तुम्ह बल बुद्धि निधान।
आसिष देह गई सो हरषि चलेउ हनुमान।।(2)
आसिष देह गई सो हरषि चलेउ हनुमान।।(2)
Ramkaj sab karion tum bal budhi nidhan I
Ashish dehi gayi so harshi chalun Hanuman II (2)
While going to Lanka Shri Hanuman was intercepted by Sursa at the behest of Demigods who wanted to test his capability make searching of Shri Seeta Ji
ReplyDeletevery nice... great efforts
ReplyDelete